अनुभूति पार्क में कष्ट का एहसास

3.25 हेक्टेयर में 2.99 करोड़ से निर्मित

रात 9 बजते ही ताला, समय बढ़ाने की दरकार…

फव्वारों में जमीं काई…

पार्क में लगे ओपन जिम के अधिकतर उपकरण क्षतिग्रस्त उद्यान में बना पॉथ वे भी उखड़ गया है

उज्जैन।दिव्यांगों,वरिष्ठजनों और आम नागरिकों को सूखद एहसास कराने के लिए 3.25 हेक्टेयर में 2.99करोड़ से अनुभूति पार्क का निर्माण किया गया था। पार्क की कल्पनाओं और उद्देश्य को जैसे ग्रहण लग गया हैं।

संधारण-संचालन के अभाव में करोड़ों के इस पार्क में आने वालों को कष्ट और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। इसमें भी रात ९ बजे ही सभी को पार्क से बाहर कर मेनगेट पर ताला जड़ दिया जाता हैं।

कोठी रोड पर 3.25 हेक्टेयर में पहले चरण में 2.99 करोड़ रु.खर्च कर करीब साढ़े तीन साल पहले आकर्षक पार्क का निर्माण किया गया था। इस पार्क के निर्माण पर यूडीए ने 1.06 करोड़ रु. सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा 1.93 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

पार्क उद्घाटन के समय इसका नाम अटल दिव्यांग अनुभूति पार्क कर दिया गया। निर्माण के बाद कुछ समय तक तो इसका संचालन विकास प्राधिकरण द्वारा ही किया गया,लेकिन बाद में संचालन-संधारण के लिए इसे नगर निगम को हैंडओवर कर दिया और तभी से इसके बदहाली की दास्ता प्रारंभ हो गई।

बेहतर अनुभव का वादा

पार्क निर्माण के वक्त दावा किया गया था कि शाम को पार्क में आने वाले लोगों को बेहतर अनुभव मिलेगा,लेकिन हालात एकदम विपरीत हैं। गर्मी के इस मौसम में नागरिकों को रात के समय अधिक देर तक पार्क में ठहरने का मौका ही नहीं मिल रहा हैं। दरअसल निगम के कर्मचारी लकीर के फकीर बनकर काम कर रहे हैं।

शीतकाल के अनुसार पार्क को बंद करने का समय रात 9 बजे है और कर्मचारी अभी-भी इस समय पर ही चल रहे हे,जबकि गर्मी में दिन बड़े होने के कारण आमतौर पर नागरिक शाम 7  बजे ही पार्क पहुंचते है और एक घंटे बाद ही पार्क बंद होने का समय होता है,तो सभी को बाहर निकालकर मेनगेट पर ताला लगा दिया जाता हैं। गर्मी मेें पार्क का समय रात 10 बजे तक होना चाहिए,लेकिन निगम के अधिकारियों का इस पर ध्यान ही नहीं हैं।

इनका कहना है….स्टॉफ की कमी होने के कारण सुरक्षा के साथ-साथ अन्य व्यवस्था प्रभावित न हो, इसके लिए समय 9 बजे तक रखा गया है। जल्दी ही कर्मचारियों की व्यवस्था कर पार्क का समय रात्रि 10 बजे तक किया जाएगा।- विधु कौरव, उपयंत्री उद्यान प्रभारी

पार्क की सारी व्यवस्था बदहाल…पार्क में दिव्यांगों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न सुविधाएं जुटाई गई थी। विशेषकर दिव्यांगों को चलने के लिए विशेष टाइल्स, सुगंधित पौधे, ब्रेललिपि में लिखे बोर्ड लगाए गए थे। पार्क के एक हिस्से में ओपन जिम बनाई गई है, इसमें विभिन्न प्रकार के व्यायाम उपकरण लगाए गए थे।

पार्क में आकर्षक लाइटिंग भी की गई थे। नक्षत्र वाटिका के पास एक्युप्रेशर पाथ-वे भी बनाया गया था। अब स्थिति यह है कि विशेष टाइल्स उखड़ चुकी हैं। एक्युप्रेशर पाथ-वे पर अब एक्युप्रेशर का प्रभाव ही नहीं हैं। दरअसल पाथ-वे उखड़ गया हैं। ओपन जिम के अधिकत्तर उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए है या उनका अस्तित्व ही नहीं बचा हैं।

लाईटें बंद होने के कारण पार्क के अनेक हिस्सों में अंधेरा छाया रहता हैं। जिला मुख्यालय कोठी पैलेस के ठीक पास ढाई हेक्टेयर जमीन पर जिस उद्देश्य को लेकर पार्क विकसित किया गया था,वह अब पूरा नहीं हो रहा हैं।

 

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